लेखनी प्रतियोगिता -03-Oct-2022... तुम नज़र में हो....
एक दिन सवेरे सवेरे दरवाजे की घंटी बजी...। दरवाजा खोला तो आकर्षण कद काठी का .... प्यारी सी मुस्कान लिए एक शख्स सामने खड़ा था..।
यस कहिये... किससे मिलना हैं आपको...!
आपसे ही मिलना हैं श्रीमान...।
मुझसे...!! लेकिन मैं तो आपको जानता भी नहीं..!
कमाल हैं रोज़ तो आप कहते हैं नजरों में बसे हो सामने कब आओगे... आज आ गया तो आप मुझे पहचान नहीं रहे..!
मैं कुछ समझा नहीं.... मैंने कब आपको बुलाया...! आप हैं कौन...!
मैं वहीं हूँ जिन्होंने आपको अफसर बनाया हैं....मैं ईश्वर हूँ श्रीमान... मैं आपके बुलाने पर ही आया हूँ... लेकिन मैं सिर्फ आपको ही दिखुंगा... ओर किसी को नहीं..। मैं आज पूरा दिन आपके साथ ही रहूंगा...।
मैं आश्चर्य से जोर से चीखा.... मेरी चीख़ सुनकर मेरी मम्मी किचन से बाहर आई जो मेरे लिए नाश्ता बना रहीं थीं.। उन्होंने आकर जब कहा की :- अरे क्या हुआ... दरवाजे पर खड़ा खड़ा अपने आप से क्या बड़बड़ा रहा हैं...तो यकीन मानिए मैं चक्कर खाकर गिरने ही वाला था की उस शख्स ने मुझे संभाल लिया...। थोड़ा संभलकर मैं बिना कुछ बोले अपने कमरे की ओर चल दिया आफिस के लिए तैयार होने... ।
वो शख्स भी मेरी परछाई बनकर मेरे साथ साथ चल रहा था...। ब्रश किया तो साथ... कपड़े निकाले तो साथ...आफिस का ब्रिफकेस पैक किया तो साथ... नहाने के लिए जा रहा था तो भी वो शख्स भीतर आए... मैं हिचकिचाया और कहा.... "प्रभु यहाँ तो बख्श दिजिए..."। वो शख्स मुस्कुराया और बाहर मेरा इंतजार करने लगा...। मैं तैयार होकर पूजा घर पर आया और यकीन मानिए आज पहली बार पूरी तन्मयता से मैने पाठ किया...।क्योकिं प्रभु जो साथ में थे..। हर रोज़ ये जल्दबाजी में किया हुआ एक दैनिक कार्य मात्र था..।पूजा खत्म कर मैं डाइनिंग टेबल पर चाय नाश्ते के लिए बैठा..। मम्मी ने चाय और नाश्ता मेरे सामने रखा...। मैं चुपचाप नाश्ता करके उठ ही रहा था तो मम्मी ने कहा :- बेटा तेरी तबीयत तो ठीक हैं ना...!
मैने हां मैं सिर हिलाया और अपनी कार की चाबी लेकर कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा और आज शायद पहली बार सीट बेल्ट लगाकर ड्राइव करने लगा...। क्योंकि अब तक मेरे जहन में यह बात बैठ चुकी थीं की मैं सच में आज ईश्वर के साथ हूँ तो आज कुछ भी ऐसा नहीं करना हैं जो गलत हो...।
वो शख्स भी मेरी बगल वाली सीट पर बैठ गए और कुछ देर में हम दोनों आफिस पहुंचे...। आफिस में सभी ने उठकर हर रोज़ की तरह मुझे गुड मॉर्निंग विश किया... लेकिन आज पहली बार मुस्कुरा कर मैने भी सामने से जवाब देकर उनका अभिवादन स्वीकार किया जो शायद उन सभी के लिए चौंकाने वाला था...। हर रोज मै बिना किसी को देखे रुआब से ऐसे जाता था जैसे उस आफिस का कर्ताधर्ता मैं ही हूँ...।
खैर उस पूरे दिन मैनें बहुत संभल संभलकर हर किसी से बात की... एक भी गलत काम और अपशब्द अपनी जुबान से नहीं निकाले...। हर रोज़ मेरे मुंह से चाहे अनचाहे ही पंद्रह बीस बार तो अपशब्द निकल जाते थे...। टेबल के नीचे से ना जाने कितनी बार रिश्वत लीं होगी... ना जाने कितनी बार गलत फाइल को पोजिशन के दम पर आगे किया होगा... लेकिन आज इन सब के विपरीत वो ही किया जो सही था...। क्योंकि आज प्रभु जो मेरे साथ थे...।
पूरे दिन के काम के बाद घर जाने के लिए कार में बैठा और सीट बेल्ट लगाया तो ईश्वर से कहा :- श्रीमान आप भी सीट बेल्ट लगा लिजिए...।उन्होने एक प्यारी सी मुस्कान से मेरी तरफ़ देखा और बेल्ट लगाया...। रात को घर पहूँचा....। कपड़े बदलकर डिनर के लिए ईश्वर के साथ डाइनिंग टेबल पर बैठा...।
अपना डिनर पूरा किया और उठा तो मम्मी बोलीं :- बेटा.... क्या बात हैं..! क्या हुआ हैं तुझे आज ना तुने नाश्ते में कोई कमी निकाली.... ना अभी खाने में....!
मम्मी का ये सवाल करना जायज भी था क्योंकि हर रोज़ जब तक मैं खाने में से नुक्स ना निकाल दूं मुझे चैन नहीं मिलता था..। हर रोज़ हर चीज़ पर मैं मम्मी को टोकता और कमियाँ निकालता रहता था..। आज मेरे ऐसे शांत व्यवहार को देखकर वो खुद बहुत कंफ्यूज थीं..। लेकिन मैने उनके कंफ्यूज को दूर करने की बजाय उनको प्यार से गले लगाकर ओर बढ़ा दिया..। मम्मी की आंखों से खुशी के आंसू उनके बेटे के प्यार को साफ़ दर्शा रहा था...।
पूरे दिन के इस इमानदारी और प्यार का चौला पहन कर बहुत थक चुका था इसलिए बिस्तर पर गिरते ही कब आंख लग गई पता ही नहीं चला...।
अचानक ऐसा लगा जैसे कोई मेरे गालों पर प्यार से थपकी मार रहा हो..। आंख खुली तो देखा मम्मी पास मैं खड़ी थीं ओर मुझे उठा रहीं थीं... :- बेटा... आज इतनी देर हो गई हैं.. अभी तक सो रहे हो... उठो बेटा कब से तुम्हारे आफिस से फोन आ रहें हैं... अलार्म बज रहें हैं... इतनी गहरी नींद में तो कभी नहीं सोए थे...।
मैं चौंक कर उठा और मोबाइल में समय और दिनांक देखकर समझ गया की मैं सपने में था...। जो कुछ भी मैंने देखा वो सब एक सपना था...। लेकिन आज सपने में एक बहुत गहरी बात मेरे जहन में बस़ चुकी थीं...की हम हर वक़्त हर पल ईश्वर की नजर में रहते हैं... और मेरी तरह जिस दिन ये बात ..." तुम नज़र में हो..." बाकी सभी ने भी समझ ली यकीन मानिए जिंदगी जीना बहुत आसान हो जाएगा...।
आज एक दिन क्रोध, घंमड, किसी की बुराई, अपशब्द, गलत काम,लालच, बुराई के बिना बिताये गये स्वप्न ने मुझे बहुत बदल दिया था....।
आप भी बदल कर देखिए.... सच में ओर कुछ मिले ना मिले सुकून बहुत मिलेगा...।
Gunjan Kamal
07-Oct-2022 08:49 AM
बहुत ही सुन्दर
Reply
आँचल सोनी 'हिया'
05-Oct-2022 11:47 PM
Nice 🌺🙏
Reply
shweta soni
04-Oct-2022 04:38 PM
Very nice 👍
Reply